आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट कैसे डायबिटीज़ पेशेंट के लिए लाभदायक है?
डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिसका सामना Mostly सभी उम्र के लोगों को करना पड़ रहा है। शुगर लेवल कंट्रोल करने के लिए लोग Medicines तो लेते ही हैं, लेकिन आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट के जरिए भी डायबिटीज पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है। "आयुकर्मा के आयुर्वेदिक उपचार" ने लाखों किडनी रोगी की डायबिटीज़ को कंट्रोल करके यह सिद्ध करके दिखा दिया है कि आयुर्वेद डायबिटीज के इलाज के लिए एक शानदार तरीका है।
शुगर या डायबिटीज अब हमारे लिए अनजाने शब्द नहीं रह गए हैं। शायद कम ही परिवार ऐसे बचे होंगे, जहां इस बीमारी के मरीज ना हों। डायबिटीज टाइप-1 और डायबिटीज टाइप-2 दोनों के मरीजों की संख्या हमारे देश में काफी बड़ी है। आइए, आज समझते हैं कि आखिर कौन-से ऐसे लक्षण हैं, जिन पर समय रहते गौर करके आप इस बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकता हैं…
टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मुख्य लक्षण ये हैं-
- बहुत अधिक प्यास लगना
- बार-बार पेशाब आना
- भूख बहुत अधिक लगना
- अचानक से शरीर का वजह कम हो जाना या बढ़ जाना
- थकान
- चिड़चिड़ापन
- आंखों के आगे धुंधलापन
- घाव भरने में बहुत अधिक समय लगना
- स्किन इंफेक्शन
- ओरल इंफेक्शन्स
- वजाइनल इंफेक्शन्स
क्या होती है डायबिटीज?
डायबिटीज एक ऐसी समस्या है, जिसमें ब्लड के अंदर ग्लूकोज लेवल कंट्रोल नहीं हो पाता है। अब आपके मन में यह सवाल उठेगा कि आखिर ग्लूकोस का लेवल कंट्रोल क्यों नहीं हो पाता? साथ ही पहले ऐसा क्या था शरीर के अंदर जो यह आसानी से कंट्रोल हो रहा था? तो आइए चलिये जानते हैं इन दोनों सवालों के जबाव...
-क्या आप जानते हैं हमारे शरीर के अंदर पैंक्रियाज नाम की एक ग्रंथि होती है। यह इंसुलिन नाम का हॉर्मोन बनाती है। यह हॉर्मोन हमारे शरीर में प्रवाहित होने वाले रक्त में ग्लूकोज के लेवल को कंट्रोल रखने का काम करता है।
-लेकिन जब शरीर में कुछ कमियों के चलते पैंक्रियाज इंसूलिन का उत्पादन कम कर देती है या बंद कर देती है तो रक्त में ग्लूकोज का लेवल लगातार बढ़ने लगता है और अंत में डायबिटीज का रूप ले लेता है।
कैसे परेशान करती है डायबिटीज?
रक्त में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाने से रक्त में उपस्थित अव्यवों के कारण बैलेंस बिगड़ जाता है। जैसे, रक्त में श्वेत रक्त कोशिकाएं (WBC) और लाल रक्त कोशिकाएं (RBC) होती हैं। इनके साथ ही खून में प्लाज्मा भी होता है जिससे ऑक्सीजन भी ब्लड फ्लो के साथ शरीर में प्रवाहित होती है।
-लेकिन जब रक्त में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है तो लाल रक्त कोशिकाएं जो घाव को जल्दी भरने का काम करती हैं, ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा होने के कारण वे अपना काम नहीं कर पाती हैं।
-श्वेत रक्त कोशिकाएं जो हमारे शरीर को संक्रमण और रोगों से सुरक्षित रखने का काम करती हैं, उनका प्रभाव ग्लूकोज की अधिकता के कारण कम हो जाता है। वो शरीर पर हमला करने वाले वायरस और बैक्टीरिया से उतनी तीव्रता से आक्रमण नहीं कर पाती हैं, जैसा कि नॉर्मल पोजीशन में करती हैं।
शरीर में वायरस और बैक्टीरिया मौजूद होने के कारण शुगर के मरीजों के संक्रमण और इंफेक्शन जल्दी-जल्दी होने लगते हैं। साथ ही सामान्य स्थिति की अपेक्षा जल्दी बीमारियां पकड़ने लगती हैं लेकिन इनके ठीक होने का समय कई गुना बढ़ जाता है।
डायबिटीज़ एक पुरानी बीमारी है, इसके होने के पीछे तो वैसे तो कई कारण हो सकते है लेकिन जब आपके ब्लड में शुगर लेवल बढ़ जाता है और शरीर पूरी तरह से इंसुलिन बनाना बंद कर देता है तो ऐसी स्थिति में आपको अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव के साथ डायबिटीज़ को नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट भी लेना चाहिए|
“शुगर कंट्रोल करने के लिए डायबिटीज़ रोगी महंगी से महंगी दवा लेते हैं, लेकिन एक समय के बाद डायबिटीज़ रोगी दवा खाने के आधी तो हो जाते है लेकिन उन्हें एलोपैथी दवाइयों से आराम मिलना बंद हो जाता है| इसलिए आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट के साथ घरेलू उपचार की मदद से भी डायबिटीज को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।“
मधुमेह दुनिया में सबसे आम बीमारियों में से एक है। इसके अधिकांश मामले आधुनिक जीवन के तनाव और आदतों के कारण होते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार डायबिटीज़ तीन तरह के दोषों के कारण होती हैं। वात, पित्त और कफ। हर दोष के असंतुलन से स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं। इसी तरह डायबिटीज एक कफ दोष असंतुलन की समस्या है।
जब आप Balance Diet और Wealthy lifestyle को नहीं अपनाते, ऐसे में डायबिटीज की बीमारी होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। आयुर्वेदिक के अनुसार, कफ दोष असंतुलित होने के कारण भी डायबिटीज़ होती है और इसे कमजोर अग्रि के साथ जोड़ा जाए, तो यह मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देता है। इससे शरीर में शुगर लेवल में कमी आती है। एक व्यक्ति जिसे कफ दोष है, उसे ध्यान रखना चाहिए कि उसके भोजन और जीवनशैली में पर्याप्त वायु और अग्रि तत्व मौजूद हों।
आंवला-
आंवला सबसे शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। इसका उपयोग आयुर्वेद में शरीर से अपशिष्ट व विषैले पदार्थ को खत्म करने और ऊतकों को पोषण देने के लिए किया जाता है। यह विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध है। मधुमेह के इलाज और इसे नियंत्रण में रखने के लिए एकदम सही है। इसमें क्रोमियम, कैल्शियम, फास्फोरस और आयरन पर्याप्त मात्रा में होते हैं, जो शरीर में इंसुलिन को अवशोषित करने और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं।
त्रिफला-
यह आयुर्वेदिक मिश्रण एक इम्यूनिटी बूस्टर है और पाचन के लिए भी बहुत अच्छा है। शुगर के रोगियों के लिए यह एक आयुर्वेदिक दवा है। इसमें पाए जाने वाले तत्व ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने में मददगार हैं। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होने के कारण शरीर के ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करती है।
जानिए डायबिटीज को नियंत्रित करने के सरल आुयर्वेदिक उपाय-
- ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के में आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट के दौरान डायबिटीज़ के मरीज को कुटकी चिरायता, पुनर्नवा, गुडची और शारदुनिका के मिश्रण का उपयोग किया जाता है। रात को तांबे के बर्तन में एक कप पानी में ये मिश्रण मिलाएं और सुबह उठकर पीने की सलाह दी जाती है|
- ब्लड शुगर को बैलेंस करने के लिए सुबह खाली पेट गर्म हल्दी वाला पानी चाहिए|
- शुगर
को कंट्रोल
करने के
लिए अदरक
की चाय
पीना भी
एक प्राकृतिक
तरीका है।
कुटकी चिरायता
आयुर्वेद में कई ऐसी उत्तम औषधियों के बारे में बताया गया है, जो हमारे Health के लिए काफी benefit होते हैं| कुटकी चिरायता चिरायत भी उन्हीं में से एक है, जिसमें नीम और कालमेघ दोनों के गुण पाए जाते हैं| कुटकी चिरायता का इस्तेमाल मोटापा और मधुमेह जैसी समस्याओं से बहुत जल्दी राहत प्रदान करता है| यह एक इम्युनिटी बूस्टिंग आयुर्वेदिक औषधि है, जो सर्दी-खांसी को भी जड़ से खत्म कर देता है|
कुटकी चिरायता की खासियत?
आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. पुनीत के अनुसार, कुटकी चिरायता को अंग्रेजी में Swertia के नाम से जाना जाता है| इसमें एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, हेप्टोप्रोटेक्टिव, लैक्सेटिव, हाइपोग्लाइसेमिक, डाइजेस्टिव गुण होते हैं, जो संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं| इसकी मदद से लिवर की कार्यक्षमता, भूख, पाचन, मेटाबॉलिज्म, वेट लॉस आदि काफी आसानी से किया जा सकता है|
कुटिक चिरायता के फायदे:-
कुटिक चिरायता में स्वास्थ्यवर्धक और पोषक गुणों का खजाना है| यह स्वाद में जितना कड़वा होता है, गंभीर बीमारियों से उतना ज्यादा ही बचाव करता है| आइए चिरायता के इस्तेमाल से मिलने वाले फायदे जानते हैं.
तेजी से घटाता है मोटापा
तेजी से मोटापा घटाने के लिए घरेलु उपाये में चिरायता के सूखे पत्ते काफी फायदेमंद होते हैं| इनमें मौजूद फाइबर और जरूरी पोषण आपके अस्वस्थ खानपान की आशंका को कम करने में मदद करते हैं| वहीं, चिरायता का सेवन शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी घटाता है| इसके सेवन से मेटाबॉलिज्म तेज होता है, जिस कारण शरीर में फैट बर्निंग की प्रक्रिया तेज होती है| आप इसके लिए चिरायता के सूखे पौधे से तैयार काढ़ा पी सकते हैं|
मधुमेह का इलाज
आपको बता दें हाइपोग्लाइसेमिक होने के कारण चिरायता में ब्लड शुगर का स्तर घटाने वाले असाधारण गुण होते हैं| इसका सेवन करने से शरीर में इंसुलिन का उत्पादन करने वाली सेल्स की सक्रियता बढ़ जाती है| इस कारण शरीर में ब्लड शुगर का स्तर कम होने लगता है और मधुमेह से राहत मिल जाती है| मधुमेह रोगी चिरायता के सूखे पत्तों का काढ़ा पीकर डायबिटीज से राहत प्राप्त कर सकते हैं|
इम्युनिटी बूस्ट होती है
संक्रमण से लड़ने व बचाव के लिए कुटकी चिरायता का सेवन काफी पुराने समय से किया जाता रहा है| इसमें मौजूद एंटीवायरल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण काफी मजबूत होते हैं| यह सामान्य सर्दी-जुकाम से राहत देने में काफी कारगर साबित होता है| अगर आपके शरीर पर कोई जख्म हो गया है, तो चिरायता के इस्तेमाल से उसे भी जल्दी ठीक किया जा सकता है|
स्किन डिसऑर्डर का इलाज
जैसा कि हमने अभी जाना कि कुटकी चिरायता में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, इसलिए यह हमारे खून को साफ करने में मदद करता है| यह खून से टॉक्सिन निकालकर विभिन्न स्किन डिसऑर्डर से राहत देता है. क्योंकि, अधिकतर स्किन डिसऑर्डर का कारण आपके खून में टॉक्सिन्स का होना होता है. जिस कारण आपको खुजली, रैशेज, सूजन, जलन आदि समस्याएं हो सकती हैं|
प्राचीन काल से सेहत और सुंदरता के लिए जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता रहा है। खासकर भारत में इसका उपयोग सबसे अधिक होता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में भिन्न-भिन्न प्रकार के जड़ी-बूटी पाए जाते हैं। इनमें एक पुनर्नवा है। यह एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों में दवा के रूप में किया जाता है। पुनर्नवा की एक प्राकृतिक खासियत यह है कि इसका पौधा ग्रीष्म ऋतू में सुख जाता है। जबकि बरसात के मौसम में पुनः जीवित हो उठता है। इस गुण की वजह से इसका नाम पुनर्नवा है। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में इसका उपयोग भोजन में किया जाता है। यह बढ़ती उम्र को रोकने में भी सहायक है। आइए, पुनर्नवा के फायदे के बारे में जानते हैं-
मधुमेह में है फायदेमंद
इसमें एंटीडायबिटिक गुण पाया जाता है, जो शरीर में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है। आप डॉक्टर से परामर्श लेकर पुनर्नवा का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए आप पुनर्नवा का काढ़ा पी सकते हैं। पूर्वोत्तर भारत में बीमारियों को दूर भगाने के लिए पुनर्नवा का रोजाना सेवन किया जाता है।
एंटी एजिंग होता है
इसमें प्राकृतिक और औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो ढलती उम्र को रोकने में सक्षम हैं। भारत के सुदूर प्रांतों में हसीं और जवां दिखने के लिए पुनर्नवा का सेवन किया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पुनर्नवा एंटी एजिंग औषधि है। इसके लिए रोजाना एक गिलास पानी में एक या चम्मच पुनर्नवा का रस मिलाकर सेवन करें।
आंखों के लिए फायदेमंद है
बरसात के दिनों में आई इन्फेक्शन का खतरा अधिक रहता है। जबकि पुनर्नवा आई इन्फेक्शन के लिए रामबाण औषधि है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके रस को आंख में डालने से आंखों की समस्या दूर होती है। हालांकि, ऐसा करने से पहले एक बार डॉक्टर की जरूर सलाह लें। इसके बाद ही पुनर्नवा का इस्तेमाल करें।
आयुर्वेदिक औषधियों के साथ आप अपनी डाइट में कुछ ऐसी सब्जियों और फल को भी शामिल कर सकते है जो डायबिटीज़ को आसानी से कम कर सकते है तो चलिये जानते ऐसे ही कुछ सब्जी और फल के बारे में रखेंगे जिससे आप अपने ब्लड शुगर को कंट्रोल में रख सकते है
डायबिटीज को कंट्रोल में रखते है ये सब्जी और फल हैं
1. कद्दू के बीज
डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए कद्दू के बीज काफी फायदेमंद हो सकते हैं| कद्दू के बीज में विटामिन-बी और फॉलिक एसिड के अलावा एक ऐसा केमिकल भी मौजूद होता है, जो हमारे मूड को बेहतर करने में मदद कर सकता है| कद्दू के बीज ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में भी लाभकारी माने जाते हैं| ये शरीर में इंसुलिन की मात्रा को संतुलित करने में भी मददगार साबित हो सकते हैं|
2. कटहल के बीज
आप भी कटहल के बीजों को निकालकर फेंक देते होंगे लेकिन ये डायबिटीज को कंट्रोल करने में फायदेमंद साबित हो सकते हैं| जिन लोगों को भूख कम लगती है, उनके लिए कटहल के बीज काफी लाभकारी हो सकते हैं| कटहल के बीजों को रात में भिगोकर सुबह खाने से भूख बढ़ सकती है|
3. अनार के बीज
अनार स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है| अनार के बीजों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स, कैंसर और दिल की बीमारी की रोकथाम के लिए बेस्ट हो सकते हैं| अनार में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में खून के थक्के को जमने नहीं देते हैं| साथ ही ये आपके शरीर को बेहतर शेप में रखने के लिए काफी लाभकारी होते हो सकते हैं| लोग इन बीजों का सेवन अपना वजन कम करने के लिए भी कर सकते हैं| इन बीजों को ग्रीन सलाद के साथ खाया जा सकता है|
4. तरबूज के बीज
तरबूज के बीज फेंकिए नहीं बल्कि इन्हें अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल करें, इसके साथ ही तरबूज के बीज का सेवन करने से डायबिटीज के साथ ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है| तरबूज के बीज वजन कम करने के लिए फायदेमंद माने जाते है| इसके लिए आप इन बीजों को छीलकर दूध या पानी के साथ सेवन कर सकते हैं|
5. अंगूर के बीज
अंगूर के बीजों में भारी मात्रा में विटामिन-ई पाया जाता है| इसके बीज से निकले तेल का इस्तेमाल मेडिसिन के तौर पर भी किया जा सकता है| अंगूर के बीजों में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर को सॉफ्ट टिशूज को रेडिकल्स से सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है| इससे डायबिटीज का खतरा भी कम हो सकता है|
अगर आप काफी लंबे समय से बढ़ते डायबिटीज़ से परेशान हैं, तो आप इन घरेलू उपचार और आयुर्वेदिक उपचार लेने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श जरूर लें.
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जैसा कि आप अब समझ गए होंगे कि इन घरेलू उपचार और आयुर्वेदिक औषधियों के सेवन से ब्लड में बढ़ते शुगर को कंट्रोल कर सकते है लेकिन कभी कभी ऐसा भी होता है कि घरेलू उपचार डायबिटीज को कंट्रोल नहीं कर पाते इसलिए ऐसे स्थिति से निपटने के लिए आप Prameh Vinashini Yog Ayurvedic DiabetesCapsules का सेवन भी कर सकते है|
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